Lyrics

टूटे धागे जो उलझे हैं कहीं मिटा दे बातें वो बना लें कुछ नयी पिघला आसमाँ, आसमाँ, ओ गिरहा धागों की तोड़ो ना, बाँध लो दो किनारे मिले, जैसे दोनों जुड़े खुल गए हैं सिरे, बोरेया है मन-मन की बातें, है कस के गिरहा बाँधे दूरी ना पूरी हो, मितरा है मन-मन की बातें, कस के गिरहा बाँधे पानी सा बह जाए, मितरा (दो किनारे) (दो किनारे) ये कैसी ख़ुमारी जो बन गई है प्यारी लिखेंगे नयी कहानियाँ हाथों की लकीरें इजाज़त ये माँगे दे-दे तू ज़रा सा आसरा दे आसरा, हो हाज़िर, दे बरकतें, हो नाज़िर नज़ाकत बयाँ कर ज़रा नज़दीकियाँ है शामिल, हों उलफ़तें सब कामिल शिद्दक से हासिल हो, मितरा है मन-मन की बातें, कस के गिरहा बाँधे पानी सा बह जाए, मितरा पिघला आसमाँ, आसमाँ, ओ गिरहा धागों की तोड़ो ना, बाँध लो दो किनारे मिले, जैसे दोनों जुड़े खुल गए हैं सिरे, बोरेया है मन-मन की बातें, है कस के गिरहा बाँधे दूरी ना पूरी हो, मितरा है मन-मन की बातें, कस के गिरहा बाँधे पानी सा बह जाए, मितरा
Writer(s): Dharam Bhatt Lyrics powered by www.musixmatch.com
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