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Yashraj - Do Khidkiyaan | Dropped Out
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Credits

PERFORMING ARTISTS
Yashraj
Yashraj
Vocals
Dropped Out
Dropped Out
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Yashraj
Yashraj
Songwriter
Dropped Out
Dropped Out
Composer
PRODUCTION & ENGINEERING
Yashraj
Yashraj
Recording Engineer
Dropped Out
Dropped Out
Producer

Lyrics

बनना उसके जैसा, मानता नहीं लोगों को (मैं नहीं मानता) उम्मीद रखने जितना जानता नहीं लोगों को ये रिश्ते बनते पट्ठे क्यूँ,समय-समय से खिचते इसलिए जाने-अनजाने में मैं क्यूँ बाँधता नहीं लोगों को (क्यूँ?) डाँट दोनों को जो काटता और कटता भी बात दोनों से जो बाँटता और बँटता भी हाँ, सीखना है सबसे, फ़िर भी बनते क्यूँ हैं बत्तमीज़? ये सपनों का है खटखटाना, रात को दे थपथपी है कुछ कमी तो लगती जब भी ज़िंदगी है जीते हम लगता हम सबसे आगे, असल में पीछे हम मेहनत का फ़ल है दिखता जब जड़ों से ज्ञान सींचे हम वो खींचे हमको पीछे, सोचे गिरें सीधा नीचे हम, तो ढीठ हैं हम उठना आदत सी है (सच) दर्द सारे लिखना तो इबादत सी है वो पूछें, "कब तक चलेगा ये सब?" ये मेरे सपने ये तब तक चलेगा जब तक सब होते अपने (होते अपने) बंद कमरों के ख़ाब दो थी खिड़कियाँ और एक किताब बंद कमरों के ख़ाब दो थी खिड़कियाँ और एक किताब जो भी सारे करें पीठ पीछे बातें, खींचे नीचे आके वो भी तो बकने के मौक़े ना छोड़ें (ना) हम भी तो थकने के मौक़े ना छोड़ें ये लंबी है दौड़, तो कभी ना आती ये चौड़ और लिया है कभी कुछ भीख में नहीं जानता है तू भी कि तेरे campus वाले rapper मेरे वाले league में नहीं नसीब में नहीं है मेरा वाला flow (मेरा वाला flow) तू जानता नहीं है bro, gig के बाहर जो १६ पे १६ देके बनने लगे थे कितने दोस्त कितने लोग जो जाने तुझे तेरे काम से पहले और नाम से बाद ये so called "OGs", तभी तो मुझे उनका यहाँ नाम नहीं याद मैं मानूँ कि तू यहाँ independent (तो?) तो गाने में master नहीं क्या? पैसे तो diss वाले video में हल्का disaster नहीं क्या? मैं करता नहीं ego की बात वरना उड़ने लगेगी यहाँ सबकी खिल्ली हम poles apart, ये East or West जैसे चलता यहाँ Bombay, दिल्ली (Bombay, दिल्ली) पर ये सच नहीं, गाने बनाने तो रहते सब touch में ही आई जो रुत नहीं, जो जानते वो जानते मैं लिखता सब सच भई हाँ, बोलना है बहुत कुछ, पर मुँह से निकलेगा आज कुछ नहीं हाँ, बोलना है बहुत कुछ, पर मुँह से निकलेगा आज कुछ नहीं बस डर यही बात का लगता है bro कि लोग सुनेंगे क्या बंद कमरों के ख़ाब दो थी खिड़कियाँ और एक किताब बंद कमरों के ख़ाब दो थी खिड़कियाँ और एक किताब
Writer(s): Rishi Thakker, Yashraj Mehra Lyrics powered by www.musixmatch.com
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