Lyrics

हसीं महफ़िल में आ बैठा हूँ इक शायर मैं दीवाना सुनाता हूँ ज़माने को मैं अब फूलों का अफ़साना किसी गुल की ये क़िस्मत है कि वो सेहरे में सजता है किसी को कोई अपने यार की तुर्बत पे रखता है एक से फूल गुलिस्ताँ में खिला करते हैं फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है एक से चेहरे-, एक से चेहरे... हाय, एक से चेहरे यहाँ सब को मिला करते हैं फिर भी हर चेहरे की तस्वीर जुदा होती है (फिर भी हर चेहरे की तस्वीर जुदा होती है) क़फ़स में बंद है कोई-, क़फ़स में बंद है-, बंद है... क़फ़स में बंद है कोई तो कोई आशियाने में (तो कोई आशियाने में) नहीं देखा कोई आज़ाद हमने इस ज़माने में (तो हमने इस ज़माने में, तो हमने इस ज़माने में) जिसे भी हमने देखा, परेशाँ-हाल देखा ग़रज़ के हर जगह पे बिछा इक जाल देखा एक सी क़ैद में सब लोग जिया करते हैं फिर भी हर क़ैदी की ज़ंजीर जुदा होती है एक से फूल... एक से फूल गुलिस्ताँ में खिला करते हैं फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है (फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है) यही सब की कहानी है-, यही सब की कहानी-, कहानी... यही सब की कहानी है, यही सब का फ़साना है (यही सब का फ़साना है) कोई दौलत का है आशिक़, कोई शोहरत का दीवाना है (कोई शोहरत का दीवाना है, कोई शोहरत का दीवाना है) इसे हसरत है कोई, उसे अरमान कोई तमन्नाओं से ख़ाली नहीं इंसान कोई एक से ख़्वाब निगाहों में बसा करते हैं फिर भी हर ख़्वाब की ताबीर जुदा होती है एक से फूल-, एक से फूल-, एक से... हाँ, एक से फूल गुलिस्ताँ में खिला करते हैं फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है (फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है) (फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है) (फिर भी हर फूल की तक़दीर जुदा होती है) (फिर भी हर फूल की) तक़दीर जुदा होती है फिर भी हर फूल की...
Writer(s): Anand Bakshi, Rahul Dev Burman Lyrics powered by www.musixmatch.com
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