Credits
PERFORMING ARTISTS
Khalid
Performer
Ibrabim Faiz
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Khalid
Composer
Ibrabim Faiz
Songwriter
Lyrics
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
आज दरवाज़ा
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
चाँदनी रात की गुमनाम गली से चुन कर
मेरी ख़ातिर कोई तारों के कमल लाएगा
ऐसा लगता है मेरे प्यार की धड़कन सुन कर
मेरा महबूब दबे पाँव चला आएगा
मुझको बेताब ये फ़ुर्क़त के सितम सहने दो
आज दरवाज़ा
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
आज की रात मचलते हुए जाज़्बात की रात
आज की रात तो गाती है बहारों की तरह
मैं कि तन्हा हूँ, परेशां हूँ किसिकी ख़ातिर
मैं कि खामोश हूँ, खामोश सितारों की तरह
आज कुछ मैं भी कहूँ, मुझको भी कुछ कहने दो
आज दरवाज़ा
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
चाँद के साथ चली आई है तारों की दुल्हन
चाँदनी लेके उमंगों की बारात आई है
दिल मैं अंजान ख़यालात का तूफ़ान लिए
बाद मुद्दत के ये जज़्बात की रात आई है
मुझको जज़्बात के तूफ़ाँ मैं यूँ ही बहने दो
आज दरवाज़ा
आज दरवाज़ा खुला रहने दो
आज दरवाज़ा
Writer(s): Khalid, Ibrabim Faiz
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