Listen to Apna Desh Videsh Ke Aage by Mukesh

Apna Desh Videsh Ke Aage

Mukesh

Bollywood

3 Shazams

Lyrics

इंकलाब (ज़िंदाबाद), इंकलाब (ज़िंदाबाद) आज मैं आप सबके सामने गंगा की क़सम खा कर कहता हूँ कि जब तक ये सब कुछ नहीं होगा मैं एक पल भी चैन से नहीं बैठूँगा और आज से हमारी प्रार्थना ये रहेगी अपना देश विदेश के आगे हाथ ना फैलाए (अपना देश विदेश के आगे हाथ ना फैलाए) आज जहाँ है रेत, कल वहाँ खेत मुस्कुराएँ (आज जहाँ है रेत, कल वहाँ खेत मुस्कुराएँ) ऐसा करो, ऐसा करो कि गाँव-गाँव में गंगा लहराए (ऐसा करो कि गाँव-गाँव में गंगा लहराए) (अपना देश विदेश के आगे हाथ ना फैलाए (कभी भी हाथ ना फैलाए) मेहनत का ही नाम है वो, जिसको क़िस्मत कहते हैं (जिसको क़िस्मत कहते हैं) दो हाथों का खेल है वो, जिसको दौलत कहते हैं (जिसको दौलत कहते हैं) हम जहाँ पसीना बहाएँगे, मोती वहाँ उगाएँगे (मोती वहाँ उगाएँगे) नदियाँ, बाँधे, नहर निकालें (नहर निकालें) ओ, नदियाँ, बाँधे, नहर निकालें, ख़ुशहाली छाए (ऐसा करो कि गाँव-गाँव में गंगा लहराए) (अपना देश विदेश के आगे हाथ ना फैलाए (कभी भी हाथ ना फैलाए) देश की हर इक चीज़ है अपनी, अपने हाथों क्यूँ तोड़ें? (हम अपने हाथों क्यूँ तोड़ें?) इसको बचाना फ़र्ज़ है अपना, क्यूँ सरकार पे छोड़ें? (हम क्यूँ सरकार पे छोड़ें?) अपना है भारत सारा, हमें प्रांत-प्रांत है प्यारा (हमें प्रांत-प्रांत है प्यारा) आपस के ही इन दंगों में (इन दंगों में) आपस के ही इन दंगों में देश ना जल जाए (ऐसा करो कि गाँव-गाँव में गंगा लहराए) (अपना देश विदेश के आगे हाथ ना फैलाए (कभी भी हाथ ना फैलाए) (आज जहाँ है रेत, कल वहाँ खेत मुस्कुराए (कल वहाँ खेत मुस्कुराए, कल वहाँ खेत मुस्कुराए)
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