Lyrics

सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार सपनों का संसार कहूँ या साजन तेरा द्वार कहूँ मैं सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार मात-पिता को छोड़ चली इस पार तुमरे कारण तोड़ दिया घर-बार तू जो मिले तो सब कुछ पा लूँ बिगड़ी हुई तकदीर बना लूँ कहती है दिल की पुकार दर्शन प्यासी आँखे मेरी बेकरार, हाय राम सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार दिल को लगा है, बिरहा मन का रोग मेरा उनसे जनम-जनम संजोग यूँ तो बड़े नाज़ों की पली मैं पी के लिए काँटों पे चली मैं नाँव मेरी मँझधार पड़ी है दूर है खेवनहार, हाय राम सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार सात समुंदर पार हाय रे, मेरा सपनों का संसार
Writer(s): Jaikshan Shankar, Jaipuri Hasrat Lyrics powered by www.musixmatch.com
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